जनता में बदलाव की चाहत प्रशांत किशोर

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में आजादी के बाद से सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. चुनावों में इतनी बड़ी जनता की भागीदारी ने सबको चौंका दिया है. राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने इस रिकॉर्ड वोटिंग के पीछे दो प्रमुख कारण बताए हैं, जनता में बदलाव की चाहत और प्रवासी मजदूरों की अप्रत्याशित हिस्सेदारी.चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 121 विधानसभा सीटों पर 65.08 फीसद वोट डाले गए, जो 2020 के चुनाव के 57.29 फीसद से काफी ज्यादा है. प्रशांत किशोर, जिनकी जन सुराज पार्टी इस चुनाव में पहली बार मैदान में है, ने इसे बदलाव का साफ संकेत बताया और उम्मीद जताई की इससे उनकी पार्टी को फायदा होगा.बिहार की जनता में बदलाव की इच्छा
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि ज्यादा वोट प्रतिशत दो बातें दर्शाता है- पहली कि बिहार में 60 फीसद से अधिक लोग बदलाव चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 25-30 सालों से लोगों में एक उदासीनता थी क्योंकि उन्हें कोई वास्तविक विकल्प नहीं दिख रहा था.प्रशांत के मुताबिक, जन सुराज के आने से लोगों के पास एक नया विकल्प है और यह बढ़ा हुआ मतदान लोगों में एक नए विकल्प को देखने के उत्साह को दिखाता है.

प्रवासी मजदूरों ने खूब किया वोट
बिहार के ज्यादातर लोग नौकरी-मजदूरी करने बिहार से बाहर जाते हैं और वोट डालने नहीं आ पाते हैं. लेकिन इस बार मतदान तैयारों के दौरान हुआ है. किशोर ने प्रवासी मजदूरों की भूमिका को इस चुनाव का ‘एक्स फैक्टर’ करार दिया.उन्होंने कहा, “छठ के बाद एक बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर यहीं रुक गए. उन्होंने न सिर्फ खुद मतदान किया, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित किया. इसने सभी को हैरान कर दिया है.” उन्होंने उन धारणाओं को भी गलत बताया जो सिर्फ महिला वोटर्स को चुनाव का फैसलाकुन मान रही थीं,

युवाओं ने बढ़-चढ़कर डाले वोट
किशोर ने जोर देकर कहा कि किसी भी राजनीतिक जानकार, पार्टी या नेता ने मतदान में इस तरह की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी की भविष्यवाणी नहीं की थी. उन्होंने कहा कि पहली बार युवाओं ने सबसे ज्यादा संख्या में वोट डाला है. साथ ही कहा कि युवाओं ने गुस्से में बिहार में बदलाव और सुधार के लिए वोट किया है.